कठिन नहीं है जर्मन भाषा को सीखना

कठिन नहीं है जर्मन भाषा को सीखना

कठिन नहीं है जर्मन भाषा को सीखना

कठिन नहीं है जर्मन भाषा को सीखना

साल भर मेें ही मिल जाते है अवसर
जर्मन भाषा प्रशिक्षक देवकरण सैनी से बातचीत-1

जयपुर.
जर्मन भाषा प्रशिक्षक देवकरण सैनी जयपुर के ही नहीं बल्कि राजस्थान के प्रमुख जर्मन भाषा विशेषज्ञों में से एक बन गए है। अपनी लगन और जर्मन भाषा के प्रति समर्पण के कारण कई बार विदेश यात्रा भी कर चुके है। मूल रूप से झुझुनूं जिले के नवलगढ़ कस्बे से आने वाले जर्मन भाषा प्रशिक्षक सैनी अंगे्रजी, हिंदी, राजस्थानी और जर्मन भाषाएं जानते है। सैनी का कहना है कि जर्मन भाषा साल भर में अच्छी तरह से सीखी जा सकती है। इसके बाद आसानी से किसी भी जर्मन कंपनी में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। जर्मन भाषा के अच्छे जानकार सैनी ने न्यूज रे 24 से बातचीत में जर्मन भाषा और करिअर के बारे में युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कई जानकारियां दी।

आपकी जर्मन भाषा में रूचि कैसे हुई और जर्मन सीखने से कैसे जुड़े

जर्मन भाषा सीखने का विचार मेरे दिमाग में अपने आप आया नहीं था इसको एक जर्मन जर्नलिस्ट्स के द्वारा लाया गया था। जब मैं 2004 में मीडिया में सक्रिय था जर्मन जर्नलिस्ट्स मिस्टर पीटर मे जो कि भारत में उस समय आए थे और यंग जर्नलिस्ट्स के साथ कुछ प्रोग्राम कर रहे थे उनको ट्रेन कर रहे थे तो 15 दिन उनके साथ रहने का मुझे मौका मिला था और मैंने ट्रेनिंग की तो उनसे ट्रेनिंग के अंत में पूछ बैठा कि क्या आप चाहते हैं हम अमेरिका के प्रभाव से मुक्त हो और जर्मनी के प्रभाव में आ जाएं फिर क्या बदला। उन्होंने मुझे ऑफर किया कि अगर तुम जर्मन भाषा सीखते हो तो मैं तुमको हमारे इंस्टिट्यूट आई आई जे बी ब्रांडनबुर्ग में बुला सकता हूं। हालांकि पीटर साहब के जाने के बाद मैंने जर्मन नहीं सीखी और बात आई गई हुई सच तो यह है कि मुझे इस ऑफर पर यकीन ही नहीं हुआ। मैं मीडिया में पूरी तरह रम गया था और चार पांच साल बाद में जब मुझे लगा कि मीडिया में मुझे जर्मनी जाना है। इस बीच जर्मनी के बारे में कुछ पढ़ा तो रुचि जगी। तब मैंने 2007 के नवंबर-दिसंबर में मैंने फाइनली मन बनाया और जर्मन भाषा सीखने का सफर शुरू किया।

आपने जर्मन भाषा में कहां तक पढ़ाई और प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसमे दक्षता कैसे प्राप्त की

वर्ष 2007 नवंबर-दिसंबर से ही मैंने जर्मन भाषा सीखना शुरू कर दिया था और गोयथे इंस्टीट्यूट पुणे से साढ़े 4 महीने में बी-1 पूरा किया। उसके बाद में मैंने कोलकाता में गोयथे इंस्टीट्यूट से सी-टू किया। इस बीच ही मैंने हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी से एडवांस डिप्लोमा किया। राजस्थान यूनिवर्सिटी से पीजी डिप्लोमा किया। जर्मनी के बॉन शहर से गोयथे इंस्टीट्यूट की स्कॉलरशिप पर सी-वन किया और उसके बाद में जर्मनी में म्यूनिख सिटी से सी-टू किया और फिर धारवाड़ की कर्नाटका यूनिवर्सिटी से मैंने एम इन इन जर्मन किया। मैंने जर्मन भाषा में टीचिंग डिप्लोमा भी किया जोकि गोयथे इंस्टीट्यूट इग्नू और ऑस्ट्रिया की यूनिवर्सिटी का एक कंबाइंड प्रोग्राम था।

हमारे देश में अक्सर अंगे्रजी सीखने पर ही ज्यादा जोर दिया जाता है ऐसे में जर्मन कोई क्यों सीखे

हम लोग अगर विदेशी भाषाओं की बात करें तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में अंग्रेजी ही आती है यह बात बिल्कुल सही है लेकिन आदमी भाषा वह सीखे जिससे उसको रोजगार मिले लेकिन अंग्रेजी सीख कर भी बहुत सारे लोगों को डायरेक्ट रोजगार नहीं मिलता लेकिन जर्मनी यूरोप का पावर हाउस है। जर्मनी की लगभग 2000 कंपनियां होगी जो अभी वर्तमान में जो भारत में काम कर रही है।

क्या जर्मन भाषा सीखकर भी विश्व स्तरीय कॅरिअर बनाया जा सकता है

जर्मनी की अर्थव्यवस्था विश्व में चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था है। इनकी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर की है और बहुत अच्छा कर रही है जिसके कारण उन्हें जर्मन भाषा के जानकारों की आवश्यकता पड़ती है और जो लोग भी जर्मन भाषा के कुछ कोर्सेज कर लेते हैं जैसे टोटल तो कोर्स ए-वन, एक-टू, बी-वन, बी-टू, सी-वन, सी-टू सहित कई होते हैं लेकिन जनरल यह देखा गया है कि जिन्होंने 3 से 4 कोर्स भी कर लिए उनको जॉब मिल जाती है। शुरुआत में 30000 से 40000 की जॉब मिलना जर्मन भाषा के जानकार के लिए आसानी से संभव है। फिर आसमान छूना आपके हाथ में है। इसलिए आप भाषा को सीखे जो आपको डायरेक्ट जॉब देती है और केवल मल्टीनेशनल कंपनीज में ही नहीं और भी बहुत सारे अवसर हैं जैसे टूरिज्म, ट्रांसलेशन, होटल, इंडस्ट्री, शिक्षा, मीडिया जहां पर आप नौकरी कर सकते हैं या अपना खुद का व्यवसाय कर सकते हैं। जर्मन भाषा केवल जर्मनी में ही नहीं बोली जाती जर्मनी के अलावा ऑस्ट्रिया, स्विटजरलैंड और भी कई देश है जहां पर जर्मन बोली जाती है।

जर्मन भाषा सीखने के बाद करिअर में कैसे बदलाव आता है

जर्मन और जर्मन टेक्नोलॉजी दुनिया में टॉप क्लास टेक्नोलॉजी के पर्यायवाची हैं। हजारों जर्मन कंपनियां आज विश्व के तमाम देशों में काम कर रही हैं जिनमें काम करना अपने आप में एक बेहतरीन करिअर है। जब आप इन कंपनियों में काम करते हैं तो एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए के लिए भी आसान अवसर प्राप्त करते हैं क्योंकि यह कंपनियां बाकी देशों में भी है। इन कंपनियों में बेहतर सुविधाएं और अच्छी तनख्वाह मिलती है। उदाहरण के तौर पर सीमेंस, बॉश, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, एसएपी, डॉयचे बैंक आदि न जाने कितनी कंपनियां है जहां जर्मन सीखने पर अवसर उपलब्ध है।

आप इस भाषा के बारे में बताइये क्या यह अंगे्रजी से कठिन है या सरल

कोई भाषा बहुत सरल या कठिन नहीं होती बस अलग होती है और जब हम लोग स्कूल से ही अंग्रेजी भाषा सीखते हैं। अंग्रेजी का बेसिक ज्ञान होने के कारण हम जर्मन भाषा जल्दी सीख सकते हैं। लेकिन अगर किसी को अंग्रेजी ना भी आती हो तो भी व्यक्ति 1 साल में जर्मन भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकता है।

जर्मन सीखने में कितना समय लगता है

वैसे तो यह पर्सनल इंटरेस्ट, मोटिवेशन और सिखाने वाले पर भी डिपेंड करता है लेकिन मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति 9 माह से 1 साल तक भाषा को अच्छे से सीखने का प्रयास करें तो कम से कम तीन लेवल जर्मन भाषा में कर के बहुराष्ट्रीय कंपनी में जॉब कर सकता है। अगर इस भाषा में बहुत ही अच्छे से पकड़ करनी हो और स्थानीय लोगों से ज्यादा इंटरेक्शन करना हो, टूरिस्ट गाइड, ट्रांसलेटर, दुभाषिए या फिर अध्यापक के बतौर काम करना चाहते हो तो 2 साल में संभव है। हालांकि उसके बाद भी बहुत सी और चीजें है जो समय के साथ आदमी जर्मन से मिलकर जर्मनी जाकर या लगातार पढऩे और बोलने से सीखता है।

जर्मन सीखने में खर्च कितना आता है और कहां से सीखें

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां से सीख रहे हैं लेकिन साधारणतया यह बी-वन करके जॉब लगने तक पचास हजार खर्चा तकरीबन आता है बाकी तो लोग दो लाख रुपए भी खर्च कर देते हैं। किंतु सीखना वहीं से चाहिए जहां लगातार टेस्ट सीरीज चलती हों और जहां बोलना सिखाया जाए और साथ ही आपको इंटरनेशनल एग्जाम के लिए भी तैयार करते हो जैसे कि जर्मन स्पीकर्स क्लब। इसके अलावा राजस्थान विश्वविद्यालय, दिल्ली और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय के साथ ही गोएथे इंस्टीट्यूट, ई लैंग्वेज स्टूडियो और बहुत से प्राइवेट स्कूल और इंस्टीट्यूट आजकल उपलब्ध हैं।